सोमवार, 1 अगस्त 2016

आज बात करते है इन्वेस्टमेंट या निवेश का 

आप इन्वेस्टमेंट करते है फ्यूचर  के लिए पर क्या आप जानते हैं। जो इन्वेस्टमेंट आप केर रहे है वो बढ़ भी रहा है या नहीं।  जिस इन्वेस्टमेंट को आप बार हुआ मानते हैं कभी कभी वो बड़ा हुआ नहीं बल्कि सही मायने घटा हुआ निकलता है , वो कैसे आएं समझते हैं -

मान लीजिये  आपने  एक  इन्वेस्टमेंट  किया  जिसमे आपको गारेन्टेड 8% रिटर्न मिला  है  . मगर वो वास्तविक रिटर्न नहीं है इनकम टैक्स और  इन्फ्लेशन या महंगाई दर आपके रिटर्न को काम कर देता है। 
इसलिए आपका रिटर्न इन दोनों को देखते हुआ होना चाहिए। 

अगर आपका रिटर्न 8% है और आप  इनकम टैक्स के 10% के स्लैब में आते है तो मान लीजिये की आपका रिटर्न केवल 7% है साथ ही महंगाई दर ( जो इंडिया में एवरेज 7% है )  को देखे तो आपका रिटर्न हुआ 0%. 
अब आप कहेंगे की आपको तो 8% रिटर्न मिल रहा है तो वो 0% कैसे हुआ। 

आपका इन्वेस्टमेंट इनकम टैक्स से प्रभावित होता है क्योकि बैंक आपके रिटर्न से T.D.S. काट लेता है तो सीधे सीधे लगभग 1% इनकम टैक्स कट गया।  अब बात हुई महंगाई दर की वो क्या होती है -

महंगाई दर भारत में लगभग 7% रहती है इसका मतलब सीधे सीधे  हुआ की हर चीज जो हम खरीदते है चाहे खाने पीने की हो ,चाहे प्रॉपर्टी हो चाहे आपका इन्वेस्टमेंट हो चाहे स्कूलिंग हो चाहे मेडिकल सर्विसेज हो हर साल लगभग 7 % की दर से बढ़ जाती है।  इसका दूसरा मतलब हुआ की आपका करंट पैसा 7% की दर से कम हो रहा है। इसका मतलब हर वो चीज जो आप फ्यूचर में खरीदने का प्लान कर रहे थे और उसके लिए आज पैसे जोड़ रहे थे अगर वो इनकम टैक्स और महंगाई दर से आगे रिटर्न नहीं दे रहा है तो वो चीज जिसे आप आज नहीं खरीद पा रहे है वो कल भी आपके पहुँच के बाहर ही रहेगी। 
इस प्रॉब्लम का क्या सलूशन है पढ़ते है अगले ब्लॉग में  तब तक के लिए विदा दीजिये।-------
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